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Thursday, July 12, 2012

आज भी होता है !!

पत्नी पर शक होने पर या शक सही होने पर क्या पति को उसे मार डालने या या घर से निकालने का हक़ है ? क्या यह नैतिक और व्यवहारिक हल है ??
रामायण के राम ने भी ऐसा किया था .... जिस पत्नी को उनके 14 साल साथ रहने के बाद भी बच्चे नही हुए , उसके लंका से लौटने पर गर्भवती होने पर चुपचाप घर निकला देकर एक गलत उदाहरण दे दिया ..... !!
अफ़सोस तो यह है की यह उदाहरण करोडो बार सुनाया जाता है और लाखो औरते इसकी शिकार होती है !!
पत्नी पर शक होने पर उसे घर से निकाल देना या मारने की सोच लेना मर्दानगी नही बल्कि बेवकूफी की बात है !
दिल्ली की एक अदालत ने एक पति को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है , जिसे अपने पत्नी के साथ हुए दुराचार के चलते गुस्सा आया और उसने सरेआम घर वालो के सामने उस अभागिन पीड़ित पत्नी की पीट-पीटकर ह्त्या कर डाली !!
अब क्या पति के दिल को शान्ति मिल पाएगी ? क्या रामायण के राम चन्द्र जी को कभी शान्ति मिल पाई ? क्या उनके बच्चे कभी सामान्य जीवन जी सकेंगे / जी पाए ??

आखिर ऐसा क्यूँ होता है की आज भी हर पुरुष पत्नी के रूप में सीता जैसी स्त्री ही चाहता है , ताकि उसके हर उचित-अनुचित बातो को पत्नी मूक-बधिर होकर मशीन की तरह मानती जाए !
आखिर क्यूँ पति के अलावा किसी और से संबंध/दुराचार की शिकार होते ही स्त्री दूषित हो जाती है ???
मजेदार बात तो यह है की पुरुष दूषित स्त्रियों के साथ सोता रहे तो वह सिर्फ बेईमानी कर रहा है अपराध नही !!!!

_____________________ kiran srivastava 8:57 pm .. 12/7/2012

1 comment:

  1. Ram candra ji ka udaharn galat hai.unhone sita ko saq ki vajah se nahi alg kiya tha.kisi dhobi ke dvara unki nayaypriyta par aachep karne ki vajah se siita ko apne se door kiya or unke viog me apna sara jivan kata..

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