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Monday, January 31, 2011

नारी तू देवी है !



1- यह वीभत्स फोटो शरिया के अंतर्गत दी जाने वाली सजा का है महिला का कसूर सिर्फ इतना था की उसने किसी से प्यार करने का जुर्म किया था !

२-यह फोटो है , सेंधवा मझोली ब्लॉक की बेवा रामकली की इन्हें टुहनी करार देकर देवर के बच्चे को जिन्दा करने के ...लिए कहा गया और उनके माथे पर बड़ा चीरा लगाकर उसमें चावल का चूरा और कुमकुम एक महीने तक भरा गया !आज भी उनकी जमीन पर देवर बच्चू सिंह और अजय सिंह ने कब्जा कर लिया है। अपनी अजिविका के लिए भटक रही रामकली को आज भी न्याय नहीं मिला

३- उदयपुर में सायरा थाना क्षेत्र के नांदेशमा में वृद्ध विधवा गणेशीबाई को डायन बताकर उस पर अत्याचार किया गया !

४- मां के कथित डायन होने का खामीयाजा उसके बेटे को अपनी जान चुका कर देनी पड़ी और इस मामले में एक युवक की हत्या आज इंट से उसके सर को चुर कर कर दिया गया। युवक की पहचान नालान्दा जिले के सिंधौल निवासी युगेश्वर मिस्त्री के रूप में किया गया।

५- जांजगीर-चांपा ज़िले के शिवनी गाँव में एक लड़की के जल जाने की घटना के बाद लोगों ने इसके पीछे डायन होने की बात कही और फिर ओझा को बुलाया गया.ओझा ने जहरीली जड़ी बूटियों का एक घोल बनाकर 30 महिलाओं को दिया और उन्हें ये घोल पीना पडा ताकि ये साबित हो कि वो डायन नहीं हैं. उनमे से कई महिलाओ की हालत चिंताजनक है !

६- झारखंड में महिला को डायन करार देकर उसे पेड़ से बांधकर उसकी पिटाई की गयी बाल कटा गया और अग्नि स्नान भी करा दिया गया !

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___ एक को छोड़कर सारी तस्वीरे हिन्दुस्तान की है जहां पर स्त्री को देवी का दर्ज़ा दिया जाता है ! कहने को तो अब यह भी कहा जाता की अब स्थिति सुधर रही है किन्तु ये सारी तस्वीर २०१०-११ की ही है !

हमारा देश भी स्त्री के मामले में तालिबान से कही कम नही है ,यहाँ भी मजलूम औरतो पर लगातार जुल्म ढाया जाता रहा है किन्तु तथाकथित हिन्दू समाज के ठेकेदार बनने वाले संगठन में से कोई भी इनकी मदद के लिए आगे नही आता ..... गाँवों में चुड़ैल बताकर मार डाली जाने वाली औरतें, मानसिक रोगों से ग्रस्त,मातों-जागरातों में सिर पटककर झूलने वाली औरतें, वृंदावन में आलुओं की तरह ठुंसी विधवाएं, दंगों-पंगों में रोज़ाना बलत्कृत होती दलित औरतें, इन सबको देखकर इन्हें अपनी संस्कृति पर ज़रा भी शर्म नहीं आती !? स्त्री के नाम पर इनका ज़मीर सोया ही रहता है और ये आते भी कैसे ये सारे जुल्म ढाने वाले मर्द ही तो है .... जिन्होंने स्त्रियों को भी देवी के नाम पर फुसलाकर मानसिक रूप से गुलाम बना रखा है और उन्हें भी इस कुकर्म में अपने साथ मिला लिया है !

अभी स्त्री हक़ की बात करो तो मुहल्ले के चुन्नू / गुड्डू / मुन्नू भी दांत दिखाते हुए बोलेंगे की बना तो दिया गया है तुम्हारे लिए कानून .. किन्तु कोई ये बताएगा की दहेज़ का कानून बनने के इतने सालो बाद भी क्या हमारा समाज इससे मुक्त हो पाया है ?
स्त्री के ऊपर बने कानून के दुरूपयोग होने की बात तो उठाकर ख़तम करने की मांग उठाने वाले ये बतादे की क्या किसी और कानून का दुरपयोग नही होता
फिर इसी कानून के लिए ही इतना हो हल्ला क्यों ?? सिर्फ इसलिए की ये स्त्री हक़ के लिए है ?
मुझे यह समझ में नहीं आता कि ये कौन होते हैं हमें बताने वाले की हमें क्या पहनना चाहिए औइर कैसे रहना चाहिए जब इनकी पोशाकों / रहन-सहन पर आपत्ति नहीं करते तो इन्हें क्या अधिकार है कि सारे देश के लोगों के लिए खाने-पहनने-नाचने का मैन्यू बनाएं। हम सबके बाप-दादा देश का पट्टा क्या इन्हीं सब उजबकों के नाम लिख गए थे !?

कब इमानदारी से कोशिश हुयी हमें आर्थिक और सामजिक समानता दिलाने की ? आज इन संगठनो द्वारा अपनी संस्कृति को बचाने के नाम पर जो कुछ भी प्रयास चल रहे होते हैं,उन पर गौर करें तो उनमें से सत्तर से अस्सी फीसदी प्रयास नारी को देवी के तौर पर बनाए औऱ बचाए रखने के लिए किए जाते हैं।
किन्तु ऊपर के घटनाओं को देखकर क्या ऐसा नही महसूस होता की भारतीय संदर्भो में स्त्री की दुर्दशा को देखते हुए उसे देवी कहा जाना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे कि एक मुहावरे के अनुसार किसी को पोदीने के पेड़ पर चढ़ाकर उससे अपना काम निकलवा लेना ।
अब वक्त आ गया है की सरकार हमारे लिए भी कोई कदा कानून बनाये और उनका कड़ाई से पालन हो जिस देश में पशुओ के लिए कड़े कानून है क्या उस देश की महिलाओं की इतनी भी औकात नही की उनकी भी सुरक्षा के लिए कड़े कानून बने ? ________________________मीतू Copyright © ३१ ०१२०११ .__२१:१५
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Sunday, January 30, 2011

अंतरजाल की दुनिया से !

●●●▬▬●●●ज़ज्बात दिल के ___ आत्मकथ्य ●●●▬▬▬▬●●●

कभी दिल कहता है की अपने ज़ज्बात आप सभी से सांझा करू , फिर ये एहसास भी होता है की जरुरी तो नही की जो मैं सोचु वही मेरे आस-पास के लोग भी सोचे .!

इस आभासी दुनिया में मुझे बहुत से सच्चे रिश्ते भी मिले जिन्होंने मुझे दिल से प्यार दिया तो कही कोरी लफ्फाजी भी दिखी ! मैं एक अंतर्मुखी लड़की जो की सिर्फ दिल से सोचती है धोखा न मिले इसलिए तथाकथित मित्रो से हमेशा दूर ही रहती .!!

ऐसे में मुझे यहीं पर एक ऐसी सहेली भी मिली जिसको मैंने परछाई की तरह पाया जरुर लेकिन वो मेरे हाथो की पकड़ से हमेशा बाहर रही ! वो जब चाहती मुझे कॉल करके घंटो बात करती किन्तु जब मैं उससे बात करना चाहती कभी भी बात नही हो पाई ........उसने मुझे आइना दिखाया किन्तु उसकी झलक कभी नही देख पाई मैं ...... बहुत प्यार करते थे हम एक दुसरे को ...... दिल से उसने मुझे समझा , मुझे भी उसे पाकर ऐसा लगा की शायद मेरी मित्रता की तलाश पूरी हुयी .!
आज वो जाने कहाँ गई मुझे विश्वास दिलाकर की हम जल्द ही वास्तव में मिलेंगे !!

शुरुवात में एक साथी भी मिला इसी अंतर्जाल की दुनिया में ही ...... बातो का जादूगर था वो , सिर्फ बात ही बात थी उसके पास . खुश रहती थी मैं उस "बात गुरु" से भी ...... लेकिन एक बेचैन ह्रदय पर बातो का जादू भला कब तक तक चलता भला , लिखना भी बाधित हो रहा था .....मन ऊब गया और मैं उसे बाय-बाय कर चैट विंडो पर सभी के लिए परमानेंट चिटकिनी लगाकर करके फिर से अपने अध्ययन की दुनिया में आ गयी !

जिंदगी के थपेड़े खाया हुआ मेरा एक डरपोक किन्तु काफी समझदार /बुद्धू मित्र मुझे अक्सर समझाया करता की वास्तविकता में जीना सीखो ......... उस मित्र को मैं फेसबुक की उपलब्धि कह सकती हूँ मैं ........ रोज मेरा कान पकड़कर समझाता वो कि " मीतुआ , ये तेरी जिंदगी नही है रे , अभी तेरा भविष्य बनाने का दिन है " एक फिक्र सी दिखती मुझे उसकी आवाज़ में ...... मेरी जैसी नकचढ़ी लड़की का गुस्सा कभी उसके सामने टिक ही नही पाया ......उसने मेरी आँखों में वास्तविकता का चश्मा चढ़ा कर मुझे हकीकत दिखाया ...... लेकिन मेरी आँखों को तो सपने देखने की आदत पड़ी है , वास्तविकता तो चाह कर भी नही देख पाती हूँ और जब ये आँखे वास्तविकता से उलझती है तो उसकी चकाचौंध से मैं जाने कितने समय तक बेचैन ही रहती है ।!

_________________मीतू -- २९०१२०११ ..००:२० Copyright ©

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Friday, January 28, 2011

कैसी लाचारी !

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अभी कल शाम की ही बात है ----- मैंने एक बच्ची को सिर्फ इतने ही कपड़ो में देखा ... गोद में यूँ ही बच्चे को ली हुई थी .... पेन्सिल बेच रही थी .... जब की हम लोगो को इतनी ठण्ड लग रही है , उसके बदन पर स्वेटर भी न था ... चेहरे पर फिर भी मुस्कराहट .... एक बार मन किया की अपना ही स्वेटर दे दू ... लेकिन फिर मैं उसे ७० रूपए देकर चली आई क्योकि उस समय मेरे हाथ में इतने ही पैसे थे .....इससे ज्यादा कुछ भी नही कर सकती थी मैं .... ग्रीन लाईट हो गयी थी तभी एक आदमी दौड़ता हुआ आया जो की भिखारी था उस लड़की को बुरी तरह से डांट कर पैसे छिनने की धमकी दिया और वो लड़की दर कर भाग गयी ... ..... ये सारा मंजर मेरी आँखों के सामने से गुज़रा .और मैं कहाँ , कितनो का कर सकती हूँ ...... इन बच्चो को देख कर मेरी आँखे भर आती है ...जिस देश में बच्चे कुपोषण का शिकार हो . हम इस सच्चाई को अपने सुन्दर चेहरे की तस्वीरों से कैसे ढँक सकते है ?
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मैंने अक्सर देखा है ------ जब मैं सुबह टहलने जाती हूँ की जो सड़के दिनभर चमकती है उन्ही सडको पर लोगो को आधी रात के बाद कुछ घंटो के लिए अपने थके हुए शरीर को आराम देते हुए ..... इस ठिठुरती हुयी ठण्ड में पशुओ की तरह सिकुड़कर ठण्ड से बचाव करते हुए ...

वो पिछले साल की ही तो बात है जब की हम घरो में सो रहे थे हमारे घर के पीछे ही एक महिला सिर्फ इसलिए बेवा हो गयी की उसके पास न कोई घर मयस्सर था और न ही कोई ठण्ड से बचाव का साधन ....... अक्सर मेरी आँखे उस बेवा को ढूंढ़ती है .... जाने कहाँ चली गयी वो ??

________________________मीतू Copyright ©


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Thursday, January 27, 2011

जागो रे महिला !!!___ जागो रे भारत !!!



Comptroller & Auditor General (CAG) की मार्च २०१० की रिपोर्ट साबित करती है की राष्ट्रीय महिला आयोग संपूर्ण और गंभीर रूप से भ्रष्ट है!
२००८-०९ में आई १२,८९५ शिकयतों में से सिर्फ़ ७,५०९ पर गौर किया गया और उन में से केवल १०७७ पर कार्यवाई के गयी!
जेल में औरतों की दशा का जायज़ा पिछले ६ सालों में एक बार भी नही लिया गया!
बनारस , मथुरा और पश्चिम बंगाल में रहने वाली विधवाओं की दशा भारत में सबसे दुखद है पर भारतीय महिला आयोग को इस बारे मे पता भी नही था जब तक सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को जाँच के आदेश नही दिए थे ! इन विधवाओं के लिए अब तक क्या किया गया ? ऐसी अनगिनत विधवाओं और ग़रीब महिलाओं के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने क्या किया ?
सरे आम मासूम लडकियों के साथ छेड़खानी होती है , महिलाओ के ऊपर एसिड अटैक होते है ... इनके लिए महिला आयोग ने क्या किया ??
राष्ट्रीय महिला आयोग उन महिलाओं की मदद नही करता जिनको असल मे मदद, सहारे और इंसाफ़ की ज़रूरत है... बल्कि यह "नारी सशक्तिकरन" के नाम पर सिर्फ़ लालची और स्वार्थी बीवियों का साथ देती हैं ! क्या इन्हे उन माताओं, बहनों और भाभियों की तकलीफ़ दिखाई नही देती जो स्वार्थी बीवियों द्वारा पुलिस और क़ानून का ग़लत इस्तेमाल करके टॉर्चर की जाती हैं??? यह आयोग आख़िर क्या चाहता है?

इसमे कोई शक़ नही है कि यह आयोग भारत के परिवारों को और समाज को जड़ से उखाड़ना चाहता है!
राष्टीय महिला आयोग को फ़ौरन बंद कर देना चाहिए और हमें समाज की भलाई के लिए कुछ नया सोचना चाहिए!
जागो रे भारत !!!Copyright ©
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http://timesofindia.indiatimes.com/india/Audit-raps-NCW-for-huge-backlog-spendthrift-ways/articleshow/5744075.cms

http://timesofindia.indiatimes.com/india/Status-of-widows-worst-in-West-Bengal-NCW/articleshow/5877882.cms
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Monday, January 24, 2011

यह कैसी राष्ट्र -भक्ति !

-सानिया मिर्ज़ा के पैरो के सामने हमारा तिरंगा !
- कूड़े-कचरे में पड़ा हुआ हमारा तिरंगा !
- इनको माता निर्मला देवी कहा जाता है जिनके चरणों में झंडा पड़ा है .....!!
-यह राष्ट्र गान हो रहा है ... और इन महोदय (लालू जी राबड़ी जी ) को उसके सम्मान में खड़ा होना भी गंवारानही !
-जूते के तले कुर्सियों के निचे कचरे की तरह पड़ा हमारा तिरंगा ...उफ़ !
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------------आज देश प्रेम की बाते बरसाती मेंढक की टरटराहट की तरह हो गयी है ! २६ जनवरी और १५ अगस्तआया नही की वास्तविक दुनिया से आभासी दुनिया तक सभी देश भक्ति की बड़ी-बड़ी बाते करने में जुट जाते हैहर बंदा देशभक्ति के रंग में रंग जाता है .... कुछ लोग तिरंगे का टैटू बनवाते है तो कोई तिरंगे का टोपी पहनता हैतो कुछ लोग अपने गाडियों में ही तिरंगा लगा लेते है इस आभासी दुनिया में भी कुछ अपने प्रोफाइल फोटो मेंतिरंगा लगा रहे हैं तो कुछ पाकिस्तान को कोसने में लगे है और कुछ फेसबुकियो ने ऐसा बवाल मचाया है आजकलकि वे देश कि सारी समस्याओ का सारा निपटारा अभी फेसबुक पर ही कर के दम लेंगे ! इसके ठीक एक दिन बादही यानि कि २७ जनवरी और १६ अगस्त को ही हमें तिरंगा कूड़े या सडको पर फेंका हुआ हुआ नज़र आता है !
----------- आज जब की लाल -चौक पर झंडा फहराने दिए जाने को लेकर इतनी कवायद हो रही है तो फिरहम झंडे के सम्मान के लिए अपने घर से ही शुरुवात क्यों नही करते ?
-------------- मेरे विद्यालय से लेकर मेरे घर के संस्कार भी यही कहते है की इन दोनों ही दिनों में सूर्यास्त सेपहले ही झंडा सम्मान पूर्वक उतार कर रख देना चाहिए ..... मैं पिछले कई सालो से 15 अगस्त और 26 जनवरी केदिन या जब भी दिखता है .. तिरंगे कि प्लास्टिक की झंडियाँ बीनता रही हूँ अपने शहर में ... कुछ लोग हँसते भी हैऔर कुछ बस देखते ही रह जाते हैं और कुछ ऐसे भी होतें हैं जो मेरा साथ देने लागतें है ... ..... हर बार मैं अपनेआस-पास मुहीम चलती हूँ की प्लास्टिक के झंडे खरीदे जाए .... और उसका अपमान होने दिया जाए .... झंडाकोई खिलौना नही हमारा सम्मान है !
पता नहीं हमारे देश के लोगो को अक्ल कब आएँगी ? किसी का खून क्यों नहीं खौलता यह सब देखकर? हम लोगस्वार्थ में किंतने अंधे हो चुके हैं ? जिस तिरंगे की शान के लिए हमारे वीर जवान अपनी जान की बाज़ी लगाने सेनहीं चूके. उस तिरंगे को हमने बिलकुल भी सम्मान नहीं दिया ..!

आइये प्रण करे कि इसी 26 जनवरी से हम प्लास्टिक की झंडियों का प्रयोग नहीं करेंगे और यदि हमको किसी भीस्थान पर ये झंडियाँ गिरी हुई मिले तो इन्हें उचित स्थान पर पहुचाएंगे...

|| भारत माता की जय || वन्दे मातरम ||

मीतू ....Copyright ©
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Tuesday, January 11, 2011

आँखों-देखि !!

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आँखों-देखी !
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मित्रो आज मैं आपको अपने आँखों देखी एक बात सांझा करती हूँ !
पिछले दिनों जब मैं अस्पताल में भर्ती थी मेरे बगल वाली बेड़ पर एक मुस्लिम महिला भी भर्ती थी जो की इन्द्रलोक ( दिल्ली ) से थी , उम्र भी केवल ४५ के आस-पास लग रही थी , उसके साथ ६-७ बुजुर्ग महिलाए भी थी .. नही मालूम मुझे की वे उसकी रिश्तेदार थी या अगल-बगल वाले वार्ड से आती थी !
इतना जमघट देखकर मेरे मन में भी उसकी बीमारी जानने की उत्सुकता हुयी , पूछने पर पता चला की उसका युट्रेस निकाल दिया गया है --- कारण की कॉपर - टी का धागा उसके युट्रेस में सड़ गया था ! बच्चो की संख्या पूछी तो उसने अपने जीवित बच्चो की संख्या ११ बताई जिसमे की ८ नर एवं ३ मादा संतान थी .... मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही रहा की "इतनी कम उम्र , इतने ढेर सारे बच्चे , उसके बाद भी कॉपर - टी लगवाई गयी ... नसबंदी क्यों नही ??"
उसके साथ की बुजुर्ग महिलाओं ने बताया की "नसबंदी करने पर हमारे यहाँ जनाज़ा नही उठता है , ऊपर जाने पर अल्लाह-ताला इस गुनाह का हिसाब मांगता है " !
मैंने पालन-पोषण के लिए जानना चाहा तो उन्होंने बताया की "हिन्दू हो या मुसलमान सिर्फ लड़की वाला ही रोता है ... जिनके पास जितने ज्यादा लड़के हो वे उतने ही सुखी होते है और उतने ही तल्लो के उनके मकान बनते जाते है " और इसके लिए उन्होंने अपने अनेक रिश्तेदारों के उदाहरण भी दे डाले !
मैंने उनसे बिंदास पूछा की आप लोगों को शर्म नही आती जब आपकी बहु , बेटी और आप तीनो ही एक साथ गर्भवती हो जाती हो ....वे कहने लगी की " जी इसमें शर्म कैसी , उनको भी अल्ला-ताला देता है और हमें भी !"

मैं सोच में पड़ गयी की जब राजधानी का ये हाल है तो पूरे हिन्दुस्तान का क्या होगा और अगले २० वर्षो में हिन्दुस्तान का चेहरा क्या होगा ?

(ये घटना महज़ एक हफ्ते पहले २६ दिसंबर की है !)

Eyes - seen!
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Friends Today I saw his eyes Sanzo do a thing!
...When I was hospitalized last week with my next Ber was a Muslim woman who admitted Indralok (Delhi) was the age, only 45 of the around was looking, elderly women, was also 6-7 with him. . There seems to me they were his relatives or side - had come from the ward!
Seeing such a rally in my mind Huyie curiosity to know his illness, revealed he asked Yutraess has been removed due --- Copper - t thread was languishing in his Yutraess! He then asked the number of children surviving number of children 8 to 11 male and 3 female children which was reported .... Of the whereabouts of my surprise was not "such a young age, so lots of children, then the copper - T Alghaai sterilization was ... Why not??"
The older women told her "corpse not our place to sterilization arises when Allah up - lock the account of crime asks!"
I nurture wanted to know, he told the Hindu or Muslim, only the girl's cries ... The more they're boys who are equally happy and equally Hllo made their house pets, and give examples to put his many relatives!
I asked him to cool you when your multi does not shy people, one daughter and three pregnant with you .... they did say the "live" how the shy, they also Alla - lock gives us too! "

I have been thinking lately if it's the capital of the Hindustan Hindustan face of what will happen in the next 20 years?

( This incident happened just before a week on 26th December ) ­
 

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