Pages

Ads 468x60px

Friday, February 5, 2010

शादी- शुदा औरत की त्रासदी-



तुम्हे, मेरा दुसरे मर्दों के साथ,
हँसना और बोलना पसंद नहीं है,-
ये समझकर कि मैं तुम्हारी गैर मौजूदगी में,
आवारा घूमती-फिरती हूँ,
तुम अंदर ही अंदर सुलगते रहते हो......

तुम अपने आपको यंत्रणा देते हो, ये सोचकर-
कि मैं तुम्हारे जानने वालो,
और अपने जनने वालो,
और दुसरे तमाम लोगो के साथ,
तुम्हारे खिलाफ बाते किया करती हूँ.....

तुम्हे इस वहम ने पागल कर रखा है-
कि मैं दूसरे मर्दों के साथ जाने क्या-क्या करती हूँ,
महज़ इस ख़याल से -
कि घर वापस आकर तुम्हें न जाने,
किस तरह का मंज़र देखना पड़े ,
तुम्हारे होश गुम हो जाते हैं .......

मेरे साथ रहते हुए, तुम्हारी जिंदगी हजारो -
आशंकाओ में घिरी हुयी हैं,
लेकिन, तुम इतने बुजदिल हो,
कि मेरे बगैर जिंदा भी नहीं रह सकते,
और तुममे इतनी योग्यता भी नही हैं -
कि शादी-शुदा जिन्दगी के योग्य हो सको!!!!!!

Thursday, February 4, 2010

परिंदा और मैं



परिंदा,
पिंजरे के अन्दर,
चारो तरफ गोल-गोल चक्कर लगाया,
उड़ने के लिए पंख फडफडाये-
अफ़सोस उड़ न सका.....
मै साक्षी थी उसकी बेबसी,लाचारी,क्रोध और झल्लाहट की,!
समय के साथ वह
भूलता गया पंख फडफडाना,
समझौता कर लिया था उसने परिस्तिथियों से-
और भूल चूका था कि-
वह परिंदा है उन्मुक्त गगन का ....
हम दोनों में एक ही समता थी ...
परिस्तिथियों से सझौता कर लेने की...
और अपने सामर्थ्य को भूल जाने की........
 

Sample text

Sample Text

Right Click Lock by Hindi Blog Tips

Sample Text

 
Blogger Templates