
लेकिन उससे बात करने पर आज पता चला की वह आसमान से तोड़कर पिंजरे में कैद कर दी गई है .... नए ज़माने की यह दुल्हम ५ बच्चो की माँ होने के बावजूद भी पिंजरे में कैद है ..... सारे सपने को वह भूल चुकी है ! उसका और उसके परिवार की स्त्रियों का अब सिर्फ यही काम है की वह बच्चो की देखभाल करे ..... नौकरों के साथ मिलकर घर को सजाये-संवारे और पति -बच्चो एवं देवरों के मनमाफिक बढ़िया-बढ़िया खाना बनवाए .... हमेशा सजी-संवरी रह कर अपने पति का इंतज़ार करे !
वह बाहरी दुनिया से पूरी तरह तरह कटी हुयी है ... मेरा सन्देश तो हर बार उसे मिलता था किन्तु वह बात कर पाने में असमर्थ है .... क्योकि उसके पिताजी के घर पर भी कोई न कोई देवर उसपर निगाह रखे ही रहता था .... उन्हें उसका हिन्दू लड़कियों से बातचीत करना बिलकुल भी पसंद नही !
ससुराल में आसमान के नाम पर शबनम को सिर्फ घर के बाड़े का सिर्फ छोटा -सा एक हिस्सा ही दिखाई देता है .... यहाँ घर की दीवारे काफी ऊंची है .. और यहाँ ससुर और देवरों केअलावा कोई मर्द दाखिल नही हो सकता !
वह इस जिंदगी की आदी होकर जनानखाने का एक अंग बन चुकी है .... जहां की मर्द हर मायने में राजा होता है और औरत उसकी बाँदी ..... वह अपने सारे सपने भूल चुकी है ... खुश है अपनी जिंदगी में .!
और यह भी की उसके पति और देवर फेसबुक पर मेरे फालोवर है ,किन्तु उसे फेसबुक यूज करने की इजाजत नही ..... मेरी और उसकी मित्रता के बारे में उन्हें वह बता चुकी है .....मुझे बेहद पसंद करने वाले वह पुरुष मेरे विचारो को पसंद नही करते ....उसका खुद भी बहुत दिल चाहता है मुझसे बात करने के लिए किन्तु मैं खुद से कभी उसको कभी फोन न करूँ .... जब वह सही समय समझेगी तो मुझे खुद कॉल कर लेगी !
(शबनम , अगर तुम तक मेरा यह सन्देश पहुँच रहा है तो मैंने तुम्हारे पति एवं तीनो देवरों को और तुम्हारे उस भतीजे को भी ब्लोक कर दिया है ..... मुझे तुम्हारे कॉल का हमेशा इंतज़ार रहेगा )
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____ kiran srivastava ... Copyright © ... 21 :15 pm ....25:5:2012
जी ...किरण जी...बड़ा ही मार्मिक...एक हंसती खेलती जिंदगी पर ताले जड़ दिए गए..यह तो स्त्री होने का एक अभिशाप है ...आज की स्वतंत्र विचारधारा में पली पढ़ी और बढ़ी स्त्रियों के लिए तो बस यह कैद सा ही है...मुस्लिम परिवार हो या हिन्दू परिवार फर्क नहीं पड़ता ..रुढिवादिता सब जगह है...लेकिन बहुत कुछ जीवन साथी पर भी निर्भर करता है...पति पत्नी का ख्याल रखे और उसे भी थोड़ी आज़ादी दे इससे पति के सम्मान में कोई कमी तो आएगी नहीं..लेकिन संयुक्त परिवार की रुढिवादिता में बहुत कुछ संभव हो नहीं पाता..हम सबको सोचना ही होगा ..अपनी आधी आवादी को भी उसका हिस्सा देना होगा...उसे भी अपने जीवन को हशीन बनाने का उतना ही हक़ है..हम आशा करते हैं कि युग बदलेगा...नया विहान स्त्रियों के लिए स्वतंत्र वातावरण लेकर आएगा...इति शुभम !!!
ReplyDeletekiran srivastava g mai ise kaise join kr skta hu can u tell me about this??
ReplyDeletebahut hi nek or umda or dil ko choo lene wale vichar h kiran ji
ReplyDeleteBhaut hi dil ku chunay wali haqekat hai yeh. aur usa badkar aaj kay zamanay ki kadawi sachi.
ReplyDeleteYou really express the very well feeling. while i was reading it the whole scene was in front of my eyes. I can feel the pain as i am the brother of 4 sister & all were elder to him. so i can easily understand the heartiest feeling of girl & there bounds.