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Monday, May 14, 2012

स्त्री-विमर्श !


अक्सर सामान नागरिक सहिंता का मुद्दा उठाया जाता है क्योंकि स्त्रियों को समान अधिकार प्राप्त नहीं है, पर हर धर्म और सम्प्रदाय वाले इसके विरोध में सिर्फ धर्म के कारण जाते है स्त्रियों को शिक्षा, उनको सामान अवसर तथा पुरषों कि समकक्षता से धर्म कि हानि नहीं बल्कि उसका उन्नयन होगा, जो पंथ दीवाल पर लिखी इबारत नहीं पढ़ पाता है उसकी प्रगति अवरुद्ध हो जाति है, सामान सहिंता बनाने कि बजाये अपने अपने सम्प्रदाय तथा धर्म में कुरीतियों, अन्याय तथा विभेदकारी कानूनों को समाप्त करने कि पहल होनी चाहिए तथा स्त्रियों को उनका उचित हिस्सा दिलाने का कार्य किया जाना चाहिए !

यहाँ यह समझ लेना अनिवार्य है कि अब अधिक दिनों तक स्त्रियों को निचले पायदान पर नहीं रखा जा सकता है यदि उन्हें बराबरी मिली, तो विकृतियों का जन्म होगा, विवाह संस्था में पुरषों के वर्चस्व के कारण सह-जीवन (बिना विवाह के साथ रहना ) बढ़ रहे है , बच्चे कि आवश्यकता भी अन्यान्य तरीकों से पूरी कि जा रही है पहले संयुक्त परिवार विघटित हुए अब एकल परिवार भी ध्वस्त हो रहे हैं !
________________ किरण श्रीवास्तव Copyright © ... 11 :45 pm ... 14:5:2012

3 comments:

  1. meetu ji itna acha bicharo thoughts k liya shadhubad.aap ki kavitaya thoughts manviya sambadna sabkuch facebook per ragistan ma hariyali ki tarah hai.

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  2. ek bar fir se baudhik logo ke bich apne app ko pa rha hoo,app ke thoughts,and poems kaphi prrodh&purn hai

    ek dam satik aur santulit

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  3. nice kiran you r to good i feel ab hum sabko iske liye kuch karna chahiye kyo na hum ek forum banaye iske liye aur samaj ke prati apni jimmedari puri karne ki koshish karen.

    ReplyDelete

 

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