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Wednesday, October 19, 2011

कैसी है ये जिंदगी ??


आज हास्पिटल में मैंने एक युवक को देखा ... उदास चेहरा , लरजती आँखे , बिखरे बाल देखकर यूँ लगा जैसे की उसके ह्रदय में हाहाकार मचा हुआ है .... मैं उसके पास गई , कारण पूछते ही वो फफक कर रो पड़ा ..... गाँव से आया था वो ,उसके पिताजी की पहली डायलिसिस थी ..... इसके लिए उसने अपनी जीविका के एकमात्र साधन अपने खेत को गिरवी रख दिया था ..... किसी भी हाल में वह अपने पिताजी को बचाना चाहता था ..... डॉ के द्वारा बताये गए डायलिसिस के लिए लाये हुए सामान में कुछ कमी थी ...... जिसके लिए डॉ ने उसे माँ-बहन की गाली देकर भगा दिया था ...... मैंने उसे खाना ऑफर किया , उसने इनकार कर दिया ..... फिर मैं उसे लेकर डॉ के पास गयी , डॉ की इंतजारी के चलते सामने न्यूट्रीशियन के रूम में उसे लेकर गई .......न्यूट्रीशियन की चिंता यह थी की डायलिसिस के बाद वह अपने पिताजी का पोषण किस प्रकार कर पायेगा , जो की काफी खर्चीला था ....... उसने उसको कुछ फ़ूड सप्लीमेंट अपनी तरफ से मदद में दिए .......उस भूखे प्यासे युवक की आँखों में अपने पिताजी को सोचकर चमक सी आ गई .....डॉ ने करीब ४-५०० रूपए के सामान बताये जो की लाने थे मैंने उसको १५०० रूपए देकर मेडिकल स्टोर भेज दिया ...... डॉ से बात हुयी ..... डॉ ने बताया की डायलिसिस के बावजूद भी उसके पिताजी को अब ज्यादा दिन तक बचाया नही जा सकता .....!
अब मेरी आँखों में आंसू थे ...... मेरी पास हिम्मत नही थी उस युवक से सामना कर पाने .... समझ नही पा रही थी की उसकी जीविका का क्या होगा ....... मैंने भी लरजते हुए आँखों के साथ ख़ामोशी से घर की ओर रूख कर लिया !!
(यह पूरी तरह से सत्य घटना है )

3 comments:

  1. कोशिश करना इंसान का काम है पर दुनिया में जो आया है उसे एक दिन जाना ही होता है।
    हम सिर्फ दुआ कर सकते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाए.....

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  2. Kai bar jindagi main ese shan aate hai jab ham kuch ker pane ki icha rakhte hue bhi nahi ker pate hai,Bas kuch ese hi palo ke liye ishwar mujhe shakti de!!!

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