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Friday, January 28, 2011

कैसी लाचारी !

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अभी कल शाम की ही बात है ----- मैंने एक बच्ची को सिर्फ इतने ही कपड़ो में देखा ... गोद में यूँ ही बच्चे को ली हुई थी .... पेन्सिल बेच रही थी .... जब की हम लोगो को इतनी ठण्ड लग रही है , उसके बदन पर स्वेटर भी न था ... चेहरे पर फिर भी मुस्कराहट .... एक बार मन किया की अपना ही स्वेटर दे दू ... लेकिन फिर मैं उसे ७० रूपए देकर चली आई क्योकि उस समय मेरे हाथ में इतने ही पैसे थे .....इससे ज्यादा कुछ भी नही कर सकती थी मैं .... ग्रीन लाईट हो गयी थी तभी एक आदमी दौड़ता हुआ आया जो की भिखारी था उस लड़की को बुरी तरह से डांट कर पैसे छिनने की धमकी दिया और वो लड़की दर कर भाग गयी ... ..... ये सारा मंजर मेरी आँखों के सामने से गुज़रा .और मैं कहाँ , कितनो का कर सकती हूँ ...... इन बच्चो को देख कर मेरी आँखे भर आती है ...जिस देश में बच्चे कुपोषण का शिकार हो . हम इस सच्चाई को अपने सुन्दर चेहरे की तस्वीरों से कैसे ढँक सकते है ?
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मैंने अक्सर देखा है ------ जब मैं सुबह टहलने जाती हूँ की जो सड़के दिनभर चमकती है उन्ही सडको पर लोगो को आधी रात के बाद कुछ घंटो के लिए अपने थके हुए शरीर को आराम देते हुए ..... इस ठिठुरती हुयी ठण्ड में पशुओ की तरह सिकुड़कर ठण्ड से बचाव करते हुए ...

वो पिछले साल की ही तो बात है जब की हम घरो में सो रहे थे हमारे घर के पीछे ही एक महिला सिर्फ इसलिए बेवा हो गयी की उसके पास न कोई घर मयस्सर था और न ही कोई ठण्ड से बचाव का साधन ....... अक्सर मेरी आँखे उस बेवा को ढूंढ़ती है .... जाने कहाँ चली गयी वो ??

________________________मीतू Copyright ©


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