
मै भी चाहती हूँ -छोटा सा आकाश,
मुझे भी उड़ने दो इन फिजाओं में,
नही चाहती मै बंधन रीति-रिवाजों का,
नही चाहिए मुझे दान भीख का......
मुझे न दो नाम देवी का,
मै हूँ आईना इस समाज का....
मै भी इन्सान हूँ तुम्हारी तरह,
मै भी अधिकारिणी हूँ तुम्हारी तरह ,
नही चाहती कुछ और अधिक -
चाहती हूँ केवल स्वतन्त्र आस्तित्व.........