क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान ! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर लेखन का रूप ले लेते है!! --- किरण श्रीवास्तव !!
.
लगभग १२ वर्ष के लम्बे इंतज़ार के बाद आज मेरी बचपन की एक सहेली शबनम से फोन पर बात हुई .... उसका विवाह इंटर मिडियट के एक्जाम से पहले ही अलीगढ में एक व्यवसाई पुरुष के साथ हो गया था मात्र ५००० के मेहर पर ....उसके अब्बू बैंक में मैनेजर है .. वह पढने में काफी ज़हीन थी और सपने बेहद ऊँचे थे .... इस समय वह ८ मे से ५ जीवित बच्चो की माँ है .....मैंने काफी कोशिश की थी उससे मुलाकात की लेकिन कभी वह नही कभी मैं नही ..... हाँ हाल-चाल जरुर मिलते रहते थे की वह काफी धनवान घर में ब्याही है और सुख से है ! लेकिन उससे बात करने पर आज पता चला की वह आसमान से तोड़कर पिंजरे में कैद कर दी गई है .... नए ज़माने की यह दुल्हम ५ बच्चो की माँ होने के बावजूद भी पिंजरे में कैद है ..... सारे सपने को वह भूल चुकी है ! उसका और उसके परिवार की स्त्रियों का अब सिर्फ यही काम है की वह बच्चो की देखभाल करे ..... नौकरों के साथ मिलकर घर को सजाये-संवारे और पति -बच्चो एवं देवरों के मनमाफिक बढ़िया-बढ़िया खाना बनवाए .... हमेशा सजी-संवरी रह कर अपने पति का इंतज़ार करे ! वह बाहरी दुनिया से पूरी तरह तरह कटी हुयी है ... मेरा सन्देश तो हर बार उसे मिलता था किन्तु वह बात कर पाने में असमर्थ है .... क्योकि उसके पिताजी के घर पर भी कोई न कोई देवर उसपर निगाह रखे ही रहता था .... उन्हें उसका हिन्दू लड़कियों से बातचीत करना बिलकुल भी पसंद नही ! ससुराल में आसमान के नाम पर शबनम को सिर्फ घर के बाड़े का सिर्फ छोटा -सा एक हिस्सा ही दिखाई देता है .... यहाँ घर की दीवारे काफी ऊंची है .. और यहाँ ससुर और देवरों केअलावा कोई मर्द दाखिल नही हो सकता ! वह इस जिंदगी की आदी होकर जनानखाने का एक अंग बन चुकी है .... जहां की मर्द हर मायने में राजा होता है और औरत उसकी बाँदी ..... वह अपने सारे सपने भूल चुकी है ... खुश है अपनी जिंदगी में .! और यह भी की उसके पति और देवर फेसबुक पर मेरे फालोवर है ,किन्तु उसे फेसबुक यूज करने की इजाजत नही ..... मेरी और उसकी मित्रता के बारे में उन्हें वह बता चुकी है .....मुझे बेहद पसंद करने वाले वह पुरुष मेरे विचारो को पसंद नही करते ....उसका खुद भी बहुत दिल चाहता है मुझसे बात करने के लिए किन्तु मैं खुद से कभी उसको कभी फोन न करूँ .... जब वह सही समय समझेगी तो मुझे खुद कॉल कर लेगी !
(शबनम , अगर तुम तक मेरा यह सन्देश पहुँच रहा है तो मैंने तुम्हारे पति एवं तीनो देवरों को और तुम्हारे उस भतीजे को भी ब्लोक कर दिया है ..... मुझे तुम्हारे कॉल का हमेशा इंतज़ार रहेगा )
आज फेसबुक के होमपेज पर घुमते -घुमते एक जगह नज़र पड़ी ... वहाँ पर ताजमहल की खूबसूरती ... शाहजहाँ के प्रेम की पावनता और भी न जाने क्या -क्या उसके प्रेम-प्यार सम्मान में कसीदे पढ़े गए थे !
लोगो को भले ही ताजमहल प्रेम का प्रतीक लगे तो लगे .... वो विश्व धरोहर हो तो हो .... अगर उसे सच में शाहजहाँ ने बनवाया है तो मुझे ताजमहल में अच्छा लगने लायक कुछ भी नही लगा ....उसको देखते ही उसके शफ्फाक पत्थरों पर जाने कितने ही इंसानों के खून के छींटे दिखते है ..... जाने कितने ही मासूम मजदूरों की कराहे दिखती है ..... इस इमारत के पीछे एक शासक का वहसीपन दिखता है ...! और अगर , जैसा की आजकल विवाद चल रहा है की यह इमारत नही तेजोमहल मंदिर था जो की राजपूत राजाओ द्वारा बनवाया गया था , जिसे की शाहजहाँ ने कब्ज़ा कर लिया और उसे हेर-फेर करके ताजमहल का नाम दे दिया तब तो उस मुहब्बत की कहानी गई तेल लेने ... पहले सच्चाई का तो पता चले ! (हिन्दू मंदिरों को अपवित्र करने और उन्हें ध्वस्त करने की प्रथा ने शाहजहाँ के काल में एक व्यवस्थित रूप धारण कर लिया था ! मध्यकालीन भारत - हरीश्चंद्र वर्मा - पेज-१४१)
सवाल यह भी है की जिस शासक के प्रेम के इतने कसीदे पढ़े जाते है की उसने मरने के बाद अपनी मुहब्बत की याद में लोगो के हाथ काट-काट कर क्या कमाल की इमारत बनवाई है , क्या उसने जीते जी मुमताज को एक पत्नी का हक दिया भी था ?
मुमताज की मौत चौदहवे बच्चे को जन्म देते समय अत्यन्त कमजोरी की वज़ह से हुई थी, इसी से पता चलता है कि शाहजहाँ को उससे कितनी मुहब्बत रही होगी कि उसे बच्चे पैदा कराने की मशीन ही नही बल्कि पूरी फैक्ट्री ही बना डाला था !
शाहजहाँ मुमताज से ऐसा बे- इंतहा मुहब्बत करता था कि उसके हरम में तीन सौ एक्स्ट्रा बीवीया उसके गुलछर्रे उड़ाने के लिए रहा रहती थी ! एक कामुक बादशाह किसी एक पत्नी को इतना ही प्यार करता था तो उसे उसी से ही सम्बन्ध रखने चाहिये थे, एक्स्ट्रा तीन सौ बीविया किस काम के लिये थी ???
और तो और बेमिशाल पावन चरित्र के धनी शाहजहाँ के उसकी सगी बड़ी बेटी जहांआरा से भी उसके नाजायज रिश्ते थे ! जब इस बाप-बेटी के अवैध रिश्तो के चर्चे आम हुए तो मुल्लो की एक बैठक बुलाई गई , जिन्होंने एक हदीस का सहारा लेते हुए कहा की माली को अपने पेड़ का फल खाने का पूरा हक़ है ... ! (Francois Bernier wrote, " Shah Jahan used to have regular sex with his eldest daughter Jahan Ara. To defend himself, Shah Jahan used to say that, it was the privilege of a planter to taste the fruit of the tree he had planted." According to Peter Mundy, another European traveler, Shah Jahan had illicit sexual relation with his younger daughter Chamni Brgum.)
74 साल की उम्र में जब उसे उसी के बेटे औरंगजेब ने आगरा के किले मैं कैद कर दिया था, और तब भी उसे 40 जवान लड़कियाँ ( शाही वेश्याए ) रखने की इजाजत दे रखी थी !