Tuesday, February 28, 2012
Sunday, February 26, 2012
आस्था !
मेरी आस्था " गाय '' में है, "गाय" कोई जानवर नहीं है , वो धर्म है , ये एक लाभदायक धर्म है इसके अंतर्गत निन्म गुण है ______
1- ये पुरुषवादी धर्म नहीं है ये नारीवादी धर्म है !
2- ये अकेला ऐसा धर्म है जो दूध देता है और इसके मूत्र -गोबर के इस्तेमाल से बाबा रामदेव जैसे राजनेता \ धर्मनिष्ट\व्यापारी \अर्धनारीश्वर पैदा होते हैं !
3-कुछ धर्म जो आवारा सडको पर फिरता है उसकी रक्षा के लिए आश्रम बनाये जाते हैं चंदा लिया जाता है जिससे कई प्रकार के वो पैदा होते हैं ,, वो आश्रम वालो को क्या बोलते हैं ?
अब इसकी कमजोरी _____
1- जो धर्म आवारा फिरता है वो अक्सर प्लास्टिक खाकर पेट कि बीमारियों से मर जाता है !
2- इस धर्म कि अक्सर सड़क दुर्घटनाओं में असमय मृत्यु या अपाहिज होने का खतरा बना रहता है !
3- इस धर्म को एक सम्प्रदाय विशेष के लोग चाव से खा जाते हैं !
:'( .....रोना भी आगया ...:'(
___________________________________________________________
इस धर्म का एक जंगली संस्करण भी होता है जो नीलगाय कहा जाता है वो अक्सर किसानो कि फसलों को बर्बाद कर देता है,,वो पीछे से गधे के जेसा और आगे से घोड़े के जैसा होता है ! वो धर्म का रंग नीला नहीं होता है ,, शेष फिर कभी .......................
नोट- इस धर्म में हमारी आस्था है कृपया हमारी आस्था को ठेस न लगाये !!!
_____________________ किरण श्रीवास्तव !!
इस धर्म का एक जंगली संस्करण भी होता है जो नीलगाय कहा जाता है वो अक्सर किसानो कि फसलों को बर्बाद कर देता है,,वो पीछे से गधे के जेसा और आगे से घोड़े के जैसा होता है ! वो धर्म का रंग नीला नहीं होता है ,, शेष फिर कभी .......................
नोट- इस धर्म में हमारी आस्था है कृपया हमारी आस्था को ठेस न लगाये !!!
_____________________ किरण श्रीवास्तव !!
सजा किसकी ?
आज दिल्ली की एक खबर आँखों के सामने से गुजरी .... पति को शक था की पत्नी का किसी दुसरे युवक से सम्बन्ध है और इसी शक के चलते घर में अक्सर कलह हुआ करता था ! एक दिन झगडे के बाद पत्नी ने आत्महत्या कर ली ..... पति इस डर से की अब उसे पूरा जीवन जेल में गुजरना पड़ेगा इसलिए उसने भी उसी साडी से लटककर आत्महत्या कर ली !
सोचने की बात तो ये है की अब बच्चो का क्या होगा ?? पत्नी जिस अहम् में थी की वह आत्महत्या के बाद पति को औकात में ला देगी , वह तो हो न सका .... किन्तु बेकसूर बच्चे जिंदगी भर की सज़ा पा गए !
मुझे आज तक समझ नही आया की ज़हर खा कर मर जाउंगी , आग लगा लूंगी ऐसा धौंस देकर क्या दिखाना चाहती है स्त्रिया ? क्या ये ब्लैकमेलिंग है या हताशा या फिर हमारी कमजोरी ??
किन्तु जिस देश में सती हो जाने को , जमीन में समा जाने को , भूख हड़ताल करके ब्लैकमेल करने को महान समझा जाता है , उस देश में ऐसी सोच होना विचित्र भी नही है !!
हम स्त्रिया अभी तक यह क्यों नही समझ पाई की हमारा जीवन अपने आप में बेशकीमती है ..... हमारी भी घर-समाज में उपयोगिता है ! अगर पति के किसी दूसरी स्त्री से सम्बन्ध है , या पति हम पर शक करता है या पति अपने परिवार वालो की सुनता है तो इसमें हमारे मरने की बात क्यों ? समस्या सुलझ नही सकती तो क्यों न अलग रहा जाए .... ?
किन्तु स्त्रिया ऐसा न करके धमकियों के सहारे अपने पति को ही काबू में रखना चाहती है , और यही समस्या की जड़ भी है !
स्त्रियों की इस सोच के पीछे समाज का भी कम योगदान नही ... स्त्री के घर-समाज में उपयोगी होने को समाज स्वीकार करने में हिचकिचाता है ... उसे सिर्फ घर के अन्दर रखकर उसमे हीनभावना भर दी गई ... ऊपर से कानून ने भय निकालकर आत्मविश्वास भरने की बजाय उसे ब्लैकमेल करने का हथियार पकड़ा दिया !
भयावह नतीजे अब सामने है ..... हज़ारो परिवार कलप रहे है .... बुजुर्ग स्त्री -पुरुष सही/गलत मुकदमो में जेल के अन्दर सड़ रहे है !
किरण Copyright ©... २१ :४६ ...२६-२-२०१२
सोचने की बात तो ये है की अब बच्चो का क्या होगा ?? पत्नी जिस अहम् में थी की वह आत्महत्या के बाद पति को औकात में ला देगी , वह तो हो न सका .... किन्तु बेकसूर बच्चे जिंदगी भर की सज़ा पा गए !
मुझे आज तक समझ नही आया की ज़हर खा कर मर जाउंगी , आग लगा लूंगी ऐसा धौंस देकर क्या दिखाना चाहती है स्त्रिया ? क्या ये ब्लैकमेलिंग है या हताशा या फिर हमारी कमजोरी ??
किन्तु जिस देश में सती हो जाने को , जमीन में समा जाने को , भूख हड़ताल करके ब्लैकमेल करने को महान समझा जाता है , उस देश में ऐसी सोच होना विचित्र भी नही है !!
हम स्त्रिया अभी तक यह क्यों नही समझ पाई की हमारा जीवन अपने आप में बेशकीमती है ..... हमारी भी घर-समाज में उपयोगिता है ! अगर पति के किसी दूसरी स्त्री से सम्बन्ध है , या पति हम पर शक करता है या पति अपने परिवार वालो की सुनता है तो इसमें हमारे मरने की बात क्यों ? समस्या सुलझ नही सकती तो क्यों न अलग रहा जाए .... ?
किन्तु स्त्रिया ऐसा न करके धमकियों के सहारे अपने पति को ही काबू में रखना चाहती है , और यही समस्या की जड़ भी है !
स्त्रियों की इस सोच के पीछे समाज का भी कम योगदान नही ... स्त्री के घर-समाज में उपयोगी होने को समाज स्वीकार करने में हिचकिचाता है ... उसे सिर्फ घर के अन्दर रखकर उसमे हीनभावना भर दी गई ... ऊपर से कानून ने भय निकालकर आत्मविश्वास भरने की बजाय उसे ब्लैकमेल करने का हथियार पकड़ा दिया !
भयावह नतीजे अब सामने है ..... हज़ारो परिवार कलप रहे है .... बुजुर्ग स्त्री -पुरुष सही/गलत मुकदमो में जेल के अन्दर सड़ रहे है !
किरण Copyright ©... २१ :४६ ...२६-२-२०१२
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