●●●▬▬●●●ज़ज्बात दिल के ___ आत्मकथ्य ●●●▬▬▬▬●●●
कभी दिल कहता है की अपने ज़ज्बात आप सभी से सांझा करू , फिर ये एहसास भी होता है की जरुरी तो नही की जो मैं सोचु वही मेरे आस-पास के लोग भी सोचे .!
इस आभासी दुनिया में मुझे बहुत से सच्चे रिश्ते भी मिले जिन्होंने मुझे दिल से प्यार दिया तो कही कोरी लफ्फाजी भी दिखी ! मैं एक अंतर्मुखी लड़की जो की सिर्फ दिल से सोचती है धोखा न मिले इसलिए तथाकथित मित्रो से हमेशा दूर ही रहती .!!
ऐसे में मुझे यहीं पर एक ऐसी सहेली भी मिली जिसको मैंने परछाई की तरह पाया जरुर लेकिन वो मेरे हाथो की पकड़ से हमेशा बाहर रही ! वो जब चाहती मुझे कॉल करके घंटो बात करती किन्तु जब मैं उससे बात करना चाहती कभी भी बात नही हो पाई ........उसने मुझे आइना दिखाया किन्तु उसकी झलक कभी नही देख पाई मैं ...... बहुत प्यार करते थे हम एक दुसरे को ...... दिल से उसने मुझे समझा , मुझे भी उसे पाकर ऐसा लगा की शायद मेरी मित्रता की तलाश पूरी हुयी .!
आज वो जाने कहाँ गई मुझे विश्वास दिलाकर की हम जल्द ही वास्तव में मिलेंगे !!
शुरुवात में एक साथी भी मिला इसी अंतर्जाल की दुनिया में ही ...... बातो का जादूगर था वो , सिर्फ बात ही बात थी उसके पास . खुश रहती थी मैं उस "बात गुरु" से भी ...... लेकिन एक बेचैन ह्रदय पर बातो का जादू भला कब तक तक चलता भला , लिखना भी बाधित हो रहा था .....मन ऊब गया और मैं उसे बाय-बाय कर चैट विंडो पर सभी के लिए परमानेंट चिटकिनी लगाकर करके फिर से अपने अध्ययन की दुनिया में आ गयी !
जिंदगी के थपेड़े खाया हुआ मेरा एक डरपोक किन्तु काफी समझदार /बुद्धू मित्र मुझे अक्सर समझाया करता की वास्तविकता में जीना सीखो ......... उस मित्र को मैं फेसबुक की उपलब्धि कह सकती हूँ मैं ........ रोज मेरा कान पकड़कर समझाता वो कि " मीतुआ , ये तेरी जिंदगी नही है रे , अभी तेरा भविष्य बनाने का दिन है " एक फिक्र सी दिखती मुझे उसकी आवाज़ में ...... मेरी जैसी नकचढ़ी लड़की का गुस्सा कभी उसके सामने टिक ही नही पाया ......उसने मेरी आँखों में वास्तविकता का चश्मा चढ़ा कर मुझे हकीकत दिखाया ...... लेकिन मेरी आँखों को तो सपने देखने की आदत पड़ी है , वास्तविकता तो चाह कर भी नही देख पाती हूँ और जब ये आँखे वास्तविकता से उलझती है तो उसकी चकाचौंध से मैं जाने कितने समय तक बेचैन ही रहती है ।!
_________________मीतू -- २९०१२०११ ..००:२० Copyright ©
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